Posts

Showing posts from February, 2020
असर तेरे तसव्वुर का ज्जब है अब तक हर लम्हा अपने वजूद को तेरे अक्स में पिरोया मैंने। नब्ज़ बेचैन सी धधकती है कलाइयों में अब तक कितनी मरतबा खुद को तेरी उँगलियों से छुड़ाया मैंने। सांसे गरम तेज़ लहकती हैं सीने में अब तक हर बार तेरी महक से प्रीत को छुपाया मैंने। रंग तेरी यादों का ना उतरा अब तक लाख बार खुद को आँसुओं से धोया मैंने।❤️❤️
हर बोल मेरी पहचान में तारूख है मेरा सुन लिया करो..... क्या मालूम...मेरी आवाज़ कब ख़ामोश हो जाये। हर जज़्बात मेरी शख़्सियत का आईना है मेरा महसूस कर लिया करो... कौन जाने...प्रीत रूहानियत कफ़न ओढ़ सो जाये। हर एहसास मोहब्बत की चादर में लिपटा है मेरा संजो लिया करो..... क्या पता...तुम पर आया प्यार क़ब्र सा पत्थर हो जाये। हर अल्फाज दिल का दर्द है मेरा पढ़ लिया करो..... कौन जाने...कौन सी शायरी आख़िरी हो जाये।❤️❤️
मैंने ये सोच कर बोये नहीं ख़्वाबों के दरख़्त कौन..जंगल में लगे पेड़ को पानी देगा। मैंने ये सोच कर पसीजी नहीं दिल ए ज़मीं सख़्त कौन..सहरा में बंजर को बारिश देगा। मैंने ये सोच कर महकाये नहीं ख़्वाहिशों के गुल दस्त कौन..जंगली बूटियों की महक संजो देगा। मैंने ये कुछ भी नहीं सोचा ... बोने से महकने तक तुम मिले ...प्रीत के ख़्वाबों के दरख़्त बोने से संजोने तक का चमन तेरा इश्क़ अब सज़ा देगा।❤️❤️
सुनो कुछ चुनें रास्ते पगडंडियाँ जो आ जाएें हमें रास बरस हुए खिजा ठहरे हमारे दरमियाँ प्रीत के फूल खिले हुए। तितलियाँ भँवरे आकर देते रहे पैग़ाम हमें कुछ ख़ास मुदद्तें हुई हमें तेरे जुगनुओं से मिले हुए। सुनो इक ख़बर सच दो हमें मिलने की  नहीं अब कोई क़यास ज़माना हुआ तेरे दीदार को मेरे रूबरू खिले हुए। आओ बनाए पुल कोई अपने ही आस पास अरसा हुआ आपको मुझसे मिले हुए।❤️❤️
ग़ज़ल भी तुम साज भी तुम मैं तो इक कोरा काग़ज़ इक लफ़्ज़ दो तुम तो मैं सरगम सी जी उठूँ । सुकूं भी तुम बेचैनी भी तुम मैं तो इक बस याद तुम्हारी इक ख़याल मुझपे दो तुम तो मैं हर साँस जिंदा हो उठूँ । बहक भी तुम महक भी तुम मैं तो इक हवा लिपटी रूह तुम्हारी इक स्पर्श मुझे दो तुम तो मैं रोम रोम प्रीत हो उठूँ । गूँज भी तुम स्वर भी तुम मैं तो इक बेजान बाँसुरी इक साँस दो तुम तो मैं बस गुनगुना उठूँ ।❤️❤️
क़ैद कर रख लूँ अपनी मोहब्बत में ये चाहा नहीं मैं रिहा ना हो पाऊँ तेरे इश्क़ पिंजरे से हाँ ..ये तमन्ना ज़रूर है। चुरा लूँ तुमको तुमसे ये मैंने सोचा नहीं खो जाऊँ मुकम्मल तुझमें हाँ ..ये आस ज़रूर है। छुपा लूँ लकीरों मे बंद प्रीत की मुट्ठी में ये किया ख़याल नहीं ज्जब हो जाऊँ तेरे पूरे अक्स ओ रूह में हाँ ..ये ख़्वाहिश जरूर है। बाँध लूँ  तुम्हें खुदसे ये तमन्ना नहीं बंध जाऊँ तुमसे हाँ ..ये आरज़ू जरूर है।❤️❤️
महसूस कुछ...यूँ होता है ज़िंदगी में मशगूल हो गए हो शायद..... या फिर...ज़हन में क़ैद ए जबर् रखते हो। आभास कुछ...यूँ होता है ज़िम्मेदारियों में उसूल हो गए हो शायद..... या फिर...ज़बरदस्त नज़रअंदाज़ ए अबर् रखते हो। शक सा कुछ...यूँ होता है बेपरवाही को क़बूल हो गए हो शायद..... या फिर...प्रीत दफ़्न को दिल ए क़ब्र रखते हो। मालूम कुछ...होता है भूल गए हो शायद..... या फिर...कमाल का सबर् रखते हो।❤️❤️
मोहब्बत कोई हवस नहीं जो ख़ूबसूरत जिस्मों में सहला जाए मोहब्बत इक नशा है लत लग जाती है मगर इस बिन गुज़ारा नहीं होता। मोहब्बत कोई क़यास नहीं जो हर लम्हा ज़ायक़े सा बदला जाए मोहब्बत वो ज़हर है मर जाना मंज़ूर कर किनारा नहीं किया जाता। मोहब्बत कोई फाँस नहीं जो हर साँस दहला जाए मोहब्बत क़ब्र है प्रीत पे मर कर फिर जिंदा उभरा नहीं जाता। मोहब्बत इक लिबास नहीं जो रोज़ बदला जाए मोहब्बत कफ़न है पहन कर उतारा नहीं जाता।❤️❤️
शिकायत ये नहीं कि मेरी आँखों में नमी कितनी है बात तो ये है कि मेरी मुस्कुराहट में तुम्हें समझ आई कितनी है। गिला ये नहीं कि मेरी ख़्वाहिशें अधूरी कितनी हैं सोचना तो ये है कि उनमें से कुछ मुकम्मल करने को तुमने जान लगाई कितनी है। अफ़सोस ये नहीं कि खिजा मेरी दहलीज़ ठहरती कितनी है बात तो ये है कि मेरी पतझड़ को बदल तुमने बहार लाई कितनी है। तंज ये नहीं कि प्रीत तन्हा कितनी है उम्मीद तो ये है कि तन्हाई हटा तुमने उसके लिए महफ़िल सजाई कितनी है। मसला ये नहीं कि मुझे तकलीफ़ कितनी है मुद्दा तो ये है कि तुम्हें परवाह कितनी है।❤️❤️
शिकायत ये नहीं कि मेरी आँखों में नमी कितनी है बात तो ये है कि मेरी मुस्कुराहट में तुम्हें समझ आई कितनी है। गिला ये नहीं कि मेरी ख़्वाहिशें अधूरी कितनी हैं सोचना तो ये है कि उनमें से कुछ मुकम्मल करने को तुमने जान लगाई कितनी है। अफ़सोस ये नहीं कि खिजा मेरी दहलीज़ ठहरती कितनी है बात तो ये है कि मेरी पतझड़ को बदल तुमने बहार लाई कितनी है। तंज ये नहीं कि प्रीत तन्हा कितनी है उम्मीद तो ये है कि तन्हाई हटा तुमने उसके लिए महफ़िल सजाई कितनी है। मसला ये नहीं कि मुझे तकलीफ़ कितनी है मुद्दा तो ये है कि तुम्हें परवाह कितनी है।❤️❤️
उसने मेरी पलकों की चिलमन के कोनों में छुपा कर इक प्यारा ख़याल दिया था मुझे मैंने आँखों के मख़मल में अब तलक सहेज रखा है। इक दिलकश अक्स तसव्वुर ए नज़र किया था उसने मुझे मैंने अपने वजूद मे वो जिस्म ढाल कर उसे अपना आईना कर रखा है। उसने थोड़ा सा एहसास अपनी महक का दिया था मुझे मैंने आज तलक उसी प्रीत को दिल ए ज़मीं में दफ़्न ए राज सा रखा है। किसी ने थोड़ा सा अपना वक़्त दिया था मुझे मैंने आज तक उसे इश्क़ समझ कर संभाल रखा है।❤️❤️
तन्हाई के दामन में खुद को समेट रखे हैं जिस महफ़िल में उसका दिल ना लगे वहाँ पे जाना हम गवारा ना करेंगे। शिद्दत से रखी है मोहब्बत तह ए दिल में उसकी दुनिया को कहीं ख़बर ना लगे लगा कर इक टीका मुराद का अपनी प्रीत को महफ़ूज़ करेंगे। छुपा रखी है नमी मुसकुराहटों के तले कहीं किसी को जरा पता ना लगे फ़ना हो जायें तो भी क्या दुआ तेरे लिए जाना हम हर बार करेंगे। इक वादा खुद से है आज जो उसे अच्छा ना लगे वैसा कोई भी काम हम नहीं करेंगे।❤️❤️
इक सोच की बूँद से ख़्वाब समंदर हो जाऊँ मैं तेरी आँखों से गुज़र कर तेरे दिल की ज़मीं पे बस जाऊँ । तेरे दिल में ज्जब हो कर तेरी धड़कन हो जाऊँ मैं जिंदा हूँ तुझसे और तुझपे ही मर जाऊँ । तेरे जिस्म की काया बन कर तेरी ही प्रीत हो जाऊँ मैं रूबरू अक्स आइने का तेरी रूह की रग रग समा जाऊँ। तेरे इश्क़ में ढूब कर क़तरे से दरिया हो जाऊँ मैं तुमसे शुरू होकर तुझमें ही ख़त्म हो जाऊँ।❤️❤️
मेरे इख़्तियार में कहाँ मुझमें तेरा अक्स ए वजूद तय कर पाना बस ये जान लो तुम कि मुझमें मैं कम हूँ और तुम बहुत ज़्यादा हो। मेरे क़ाबू में नहीं है मेरे ख़याल ए इश्क़ को मुझमें रोक पाना बस ये समझ लो तुम कि दिल में धड़कनें कम हैं और तेरा नाम ज़्यादा है। मेरी सोच से परे है मेरी तमन्ना ओ प्रीत का मेरे ज़हन में समा जाना बस कुछ ऐसा है कि मेरे पास सांसें कम हैं और प्यार बहुत ज़्यादा है। मेरे बस में नहीं है हाल ए दिल बयां करना बस ये समझ लो कि लफ़्ज़ कम हैं और मोहब्बत ज़्यादा है।❤️❤️
तेरी चाहत ,तेरा प्यार और ये ज़िंदगी की वहशत हम तन्हा खड़े रह जाते हैं जब तुम्हें जाने से रोक नहीं पाते। तेरी सोहबत, तेरा इज़हार और ये क़िस्मत के तरकश टूट कर भी महफ़िल सजाते हैं हम जब तेरी पनाह नहीं पाते। तेरी प्रीत , तेरा इकरार और ये रिवाजों के दायरों के अंकुश अपनी दरारों को समेट कर बस, पूरे हो जाते हैं हम जब तेरी याद में बिखर नहीं पाते। तेरी ज़रूरत , तेरा इंतज़ार और ये कश्मकश थक कर मुस्कुरा देते हैं हम जब रो नहीं पाते।❤️❤️
मैंने नहीं चाहा मेरे हुस्न को तारीफ़ ए जवाब दे या फिर प्रीत की मिसाल ए रिवाज दे आज बहुत उदास है दिल मेरा दर्द में लिपटी ख़ामोशी को बस इक मरहमी आवाज़ दे। मैंने कब चाहा मुझे अव्वल ए शबाब दे या फिर टूटती धड़कनों को जोड़ता इक साज दे आज बेहद उदास है दिल मेरा ढूबती धड़कनों को बस अपने सीने की आवाज़ दे। मैंने कब चाहा मेरे दिलकश रूखसार को हिजाब दे या फिर इश्क़ का ताज दे आज बहुत ग़मज़दा है दिल मेरा तेरे हिजर् में मेरी नम पलकों को बस जरा गर्म साँसों की आवाज़ दे। मैंने कब चाहा मुझे इक गुलाब दे या फिर मोहब्बत से नवाज़ दे आज बहुत उदास है दिल मेरा ग़ैर बनके ही सही तू मुझे आवाज़ दे।❤️❤️
बेज़ार सा कुछ कहना था मैंने अपनी धड़कनों से तेरा जुदा होना कह दिया। बेक़रार सा कुछ बयां करना था मैंने मेरी दहलीज़ पे रूका तेरा इंतज़ार कह दिया। बेहदप्यार भरा कुछ कहना था मैंने तेरे लबों से प्रीत को पुकारना कह दिया। बेशुमार सा कुछ लिखना था मैंने तुझ पर बेहद एतबार लिख दिया।❤️❤️
एहसास लगाव का उस जानिब कुछ इस क़दर महसूस होने लगा मैं उसे दिल में सहेजने लगी..... तो...वो मुझमें ही धड़कने लगा। अक्स मेरा कुछ इस क़दर उसके साँचे मे ढलने लगा मैं उसकी तस्वीर उकेरने लगी..... तो...वो मेरी तस्वीर में अपने रंग भरने लगा। ऐतबार मेरा उस पर कुछ इस क़दर बढ़ने लगा मैं बेपर्दा उसकी रूह में समाने लगी..... तो...वो खुद को लिबास कर मुझको ढकने लगा। रिश्ता उससे इस तरह कुछ मेरा बढ़ने लगा मैं उसे लिखने लगी..... तो...वो मुझे पढ़ने लगा।❤️❤️
आओ....ना जाना कुछ एहसास करते हैं इक आसमां इक चाँद मैं यहाँ    तुम वहाँ आसमां पे इस चाँद को इक साथ तकते हैं इस रात के पहलू में हम अपनी प्रीत का मीठा एहसास करते हैं। आओ.....ना जाना कुछ महसूस करते हैं ये हवा   ये झोंके मैं यहाँ      तुम वहाँ इस हवा से तेरी ख़ुशबू का मुझमें सिमटना मेरी छुअन का तुमसे लिपटना अपनी मोहब्बत को हम दूर से भी पास सा यूँ महसूस करते हैं। आओ.....ना जाना कुछ बातें करते हैं मैं यहाँ।     तुम वहाँ बिन देखे   बिन बोले बिन सुने   इक तन्हा मुलाक़ात करते हैं।❤️❤️
मेरे आइने में मेरा अक्स वही हो ज़रूरी नहीं पर उस अक्स में वही प्यारी रूह बसे ये बहुत ज़रूरी है। भरी महफ़िल में हम तन्हा ना हों ज़रूरी नहीं पर तन्हाई में भी हम किसी की यादों की महफ़िल में गुम हो जायें ये बहुत ज़रूरी है। प्रीत हर लम्हा तेरे सीने से हो लिपटी ज़रूरी नहीं पर प्रीत तेरे सीने में हरदम धड़के ये बहुत ज़रूरी है। मोहब्बत साथ हो ज़रूरी नहीं पर मोहब्बत ज़िंदगी भर हो ये बहुत ज़रूरी है।❤️❤️
हिफ़ाज़त से रखा है ज़हन में तेरे तसव्वुर को सबाव की तरह जैसे बरसों संजो कर रखी रंगत तेरे दिए उस सुर्ख़ गुलाब की तरह। महफ़ूज़ कर लिया है ज़हन में तेरी प्रीत को नायाब की तरह जैसे मुदद्तों संभाले किताबों के पन्नों में तेरे उस गुलाब की तरह।🌹🌹
ना भर यूँ सिसकियों को अपने लफ़्ज़ों में यहाँ ऐ-मेरी पगली क़लम लोगों के दबे ज़ख़्म उभर जाते हैं दर्द मे कराहते अल्फाजों में अपनी आहह समझ कर। ना ... ना पिरोया कर अपने अश्कों को पन्नों के क़रीने यहाँ ऐ- मेरी स्याही जिगर लोग ढूब जाते हैं अपनी आँखों का खारा समन्दर समझ कर। ना  कर अपनी प्रीत के ज़ख़्म पैग़ाम ए इश्क़ की जुबां ऐ- लड़खड़ाती धड़कनों लोग रूठ जाते हैं अपनी मोहब्बत से वही इक गिला समझ कर। ना किया कर अपने दर्द को शायरी में बयां ऐ-नादान दिल कुछ लोग टूट जाते हैं इसे अपनी दास्ताँ समझ कर।❤️❤️
प्रीत की बेड़ियों से जकड़ कर उनके पाँव अपनी क़ैद में कर लिया होता गर इख़्तियार मेरा उनकी हर राह पर होता यूँ ना हिजर् में जल कर बिखरते हम भी गर मेरी बंजर साँसों पर उसके सिवा बरसता बादल कोई और होता। वास्ता देते गुज़रे जा रहे वक़्त और उम्र का उनको गर उनके लम्हों पर मुझे इक हक़ मेरा होता यूँ ना तड़पते इंतज़ार में अक्स ओ रूह तलक गर इक मुकम्मल ज़िंदगी उसके साथ जीने का हक़ सिर्फ़ मेरा होता। हाथ पकड़ के रोक लेते उनको गर उन पर मेरा कोई ज़ोर होता ना रोते हम भी उनके लिए पागलों की तरह गर हमारी ज़िंदगी में उनके सिवा कोई और होता।❤️❤️
मुझे दबाए राजों से गिला है अकसर मुँह पे खरा सुनने की आदत के ख़ैर आदी हैं हम। मुझे झूठे बुने सपनों के बाग़ों से शिकायत है अकसर उधड़े टूटे ख़्वाबों के तो ख़ैर आदी हैं हम। मुझे बेअसर दवा से मलाल है अकसर प्रीत के दर्दों की ठीस के तो ख़ैर आदी हैं हम। मुझे अश्क़ समंदर आँखों में दफ़्न करने से एतराज़ है अकसर दरारों में टूटी मुसकान के तो ख़ैर आदी हैं हम। मुझे लहजे ख़फ़ा करते हैं अकसर लफ़्ज़ों के तो ख़ैर आदी हैं हम।❤️❤️
Image
लफ़्ज़ों को सींच कर ग़ज़लों को बुनता रहता है         शायर क्या जाने, बुने ताने बाने का टूटता हर फंदा है। दर्द अश्क़ ज़ख़्मों को मरहम से सिलता रहता है           शायर बेख़बर ,दुनिया के वार से नासूर बना दें , कुरेद कर यही दुनिया का धंधा है। क़समों यादों वादों को अपने हर्फों महफ़ूज़ रखता है             शायर प्रीत की वीरान बस्तियों में देता हर सनम को कंधा है। आईना बेचता फिरता है              शायर उस शहर में जो शहर ही अंधा है।❤️❤️
Image
मुसकुराहटें अधूरी हैं आँखों में नमी के बिना। बारिश अधूरी है सूखी ज़मीं के बिना। दर्द की तड़प अधूरी है स्पर्श ए मरहमी के बिना। अक्स ए तस्वीर अधूरी है रूह ए ज़िंदगी के बिना। शिद्दत अधूरी है एहसास ए बंदगी के बिना। मिलन की घड़ी अधूरी है हिजर् की सदियों के बिना। सुकूं ए मोहब्बत अधूरी है बेचैन ए इश्क़ के बिना। ज़िंदगी अधूरी है मौत के ज़िक्र के बिना। प्रीत भी तो अधूरी है तेरे इंतज़ार के बिना। हर कोई अधूरा है किसी अपने के बिना।❤️❤️