हिफ़ाज़त से रखा है ज़हन में
तेरे तसव्वुर को सबाव की तरह
जैसे बरसों संजो कर रखी रंगत
तेरे दिए उस सुर्ख़ गुलाब की तरह।
महफ़ूज़ कर लिया है ज़हन में
तेरी प्रीत को नायाब की तरह
जैसे मुदद्तों संभाले किताबों के
पन्नों में तेरे उस गुलाब की तरह।🌹🌹
तेरे तसव्वुर को सबाव की तरह
जैसे बरसों संजो कर रखी रंगत
तेरे दिए उस सुर्ख़ गुलाब की तरह।
महफ़ूज़ कर लिया है ज़हन में
तेरी प्रीत को नायाब की तरह
जैसे मुदद्तों संभाले किताबों के
पन्नों में तेरे उस गुलाब की तरह।🌹🌹
Comments
Post a Comment