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हर लम्हा तेरी ही याद है क्या याद है.. कुछ याद नहीं। याद है तेरी खुशबू मुझसे ही लिपटी रहती है क्यूं ये याद नहीं। याद है तेरा हर एहसास तू दिल में है नसीब में नहीं... ये मुझे याद नहीं याद है मैं प्रीत हूं सिर्फ तेरी हूं हां बेशक... मगर कयूं हूं ना..... अब ये याद नहीं।❤️❤️
चलो इक रोज़ फिर मुलाकात करेंगे तेरे आने पर.... कुछ बातें कुछ हाल ए दिल तेरे रूबरू बयां करेंगे। अरसा हो गया हंसी के लिबास तले कुछ अश्कों को छुपाये हुए इस बार तुमसे मिल तेरा कांधा गीला करेंगे। यूं ही बेसबब सुस्त सी गुज़र रही है जिंदगी खुद संग तुम मिलो तो.... कुछ ख्वाहिशों को तेरे इश्क से आबाद करेंगे। बहुत तन्हा खामोश वक्त की कैद में है जिंदगी तुम आओ.... हम प्रीत के लम्हों को नजरबंद करेंगे।❤️❤️
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दास्तानें मोहब्बत की किताबों के लफ़्ज़ों  में ही नहीं जिंदा दिलों के तहखानों में मिले। चाँद भी दिखा नहीं रात की सेज पे उससे कहना अब दिन के उजालों में मिले। मुसकहटों तले दफ़न है वो आहह दर्द की ज़िंदगी हसीं है....... हाँ सुना तो है पर ये तो बस मिसालों में मिले। प्रीत ने पाया है तुम्हें अपनी रूह ए धड़क में अकसर तुम उलझे से मेरे बालों में मिले।❤️❤️
क्यूँ इक सोच मेरे मन की वही ख़याल तेरे ज़हन में ना हो वो ताल्लुक़ ए वफ़ा ही क्या .. जो इधर हो उधर ना हो। क्यूँ इक कसक मुलाक़ात की तुझे भी वही जुस्तजू ना हो वो तड़प ए मोहब्बत ही क्या .. जो इधर हो उधर ना हो। क्यूँ इक तलब दीदार की उस सहरा को बारिश की प्यास ना हो वो सबर् ए प्रीत ही क्या .. जो इधर हो उधर ना हो। क्यूँ इक दिल की दूसरे दिल को ख़बर ना हो वो दर्द ए इश्क़  ही क्या .. जो इधर हो उधर ना हो।❤️❤️
कुछ ज़ख़्म इस क़दर दिए हैं अपनों ने घायल अपनों की ही मोहब्बत से हुए हैं हम। जरा सलीक़े से कहते खुदाया उफ़्फ़ ! ना करते मगर ख़ंजर से अल्फाजों से बेहद घायल हुए हैं हम। पहचानना ही छोड़ दे जब आईना मेरे अक्स को फिर अपने ही घर में अनजान हुए हैं हम। कभी मुश्किल कभी आसां सी ज़िंदगी में हर बार नये आग़ाज़ से परेशान हुए हैं हम। लोग इल्ज़ाम बड़ी बड़ी तबीयत से लगाते हैं प्रीत लगा कर कुछ यूँ बदनाम हुए हैं हम।❤️❤️
जिस्म है जान है या दिल है ये धक धक से मुझमें धड़कता कौन है? लफ़्ज़ है बात है या ग़ज़ल है ये मीठा मीठा सा मुझे गुनगुनाता कौन है? इश्क़ है लगाव है या प्रीत है ये ज़र्रा ज़र्रा मेरी रूह बसता कौन है? इंतज़ार है याद है या दर्द है ये पल पल बेचैन मुझमें तड़पता कौन है? हालात है वक़्त है या खुदा है ये रह रह के मुझे परखता कौन है?❤️❤️
तेरे हाथों में प्रीत मेरी भी होगी ये राज बताती तो होंगी ये संधली लकीरें तेरे इश्क़ से बावस्ता तो है मेरी मोहब्बत जाकर ये मेरे आधे वजूद की पूरी लकीरें। ख़यालों में तुमने भी देखी तो होंगी कभी मेरे ख़्वाबों की धुँधली लकीरें तुम्हारी हथेली से मिलती हैं जाकर मेरे हाथों की अधूरी लकीरें।❤️❤️