Posts

Showing posts from October, 2019
Image
ख़्वाबों की टूटी किरचनें बिखरी हर तरफ़ पलकों की ओट में इस क़दर नींद भी इक लम्हा इक झपक आँखों में आने को सोचती है। बेचैनियों से लबालब भरा है दिल कुछ इस क़दर धड़कनें भी प्रीत की मीठी लय पर दिल में सजने को सोचती हैं। बदहवासियां ज़िंदगी को समेट कर गुम से रास्तों पे इस क़दर मंज़िलों का इक निशां पाने को तरसती हैं। ख़्वाहिशों से भरा पड़ा है घर कुछ इस क़दर रिश्ते ज़रा सी जगह को तरसते हैं।❤️❤️
Image
शिद्दत से उतरना पड़ता है अक्स को लपेट रूहानी लिबास में ये बेशक़ीमती इश्क़ ज़रा सी चाहत से नहीं मिलता। इंतेहां दर्द की पार करके ज़ख़्मों की ठीस सह के वो इक मरहमी सुकून बिना आह! सहे नहीं मिलता। आजमाईशों की परख से हर इम्तिहां से गुज़र के ऐ प्रीत अपने महबूब से मिलन का वो जन्नत सा हसीं लम्हा यूँ ही नहीं मिलता। जिसको मिला है समंदर की गहराइयों से मिला है लाजवाब मोती किसी को किनारे पे नहीं मिलता।❤️❤️
Image
कुछ रिश्ते बुन देते हैं क़रीने से ज़िंदगी सारी और कुछ नाते ही ज़िंदगी के फ़ज़ल होते हैं। कुछ मुसकुराहटें बयां करती हैं लबों की जुबां हर बारी और चश्म ए प्रीत के लफ़्ज़ बेहद सजल होते हैं। कुछ अल्फाजों सिलसिले से बनती है शायरी और कुछ चेहरे भी पूरी ग़ज़ल होते हैं।❤️❤️
Image
भेजूँगी कुछ यादों के लम्हे तसव्वुर में उस वक़्त की दहलीज़ पे जाना रूबरू हो जाऊँ महसूस गर मैं फिर ज़रा सा मुस्कुरा देना। भेजूँ जो हवाओं के संग अपनी महक कभी मैं तुम ज़रा  ओढ़ लेना उतरूँ रूह में लिपटूं बदन से फिर ज़रा सा मुस्कुरा देना। भेज रही हूँ थोड़ी रोशनी मैं इक दीया तुम भी जला लेना दीया और बाती जब इकमिक हो जाऐं तब प्रीत से मिलने की चाह में बस थोड़ा सा मुस्कुरा देना।❤️❤️
Image
ख़्वाबों को मुकम्मल होने का शौंक है मगर...... मुमकिन नहीं आँखों की पनाह के बग़ैर । धड़कनों को शोख़ियों में बजने का शौंक है मगर...... मुमकिन नहीं दिल की इजाज़त के बग़ैर । अक्स को जज़्ब होने का शौंक है मगर...... मुमकिन कहां ऐ प्रीत रूह में शिद्दत से उतरे बग़ैर । इश्क़ को महबूब के सरूर का शौंक है मगर...... मुमकिन नहीं मोहब्बत के जनून के बग़ैर ।❤️❤️
Image
सिर्फ़ ........अपने हैं मेरे ज़हन में क़ैद कुछ ख़्वाब यूँ बंदी हैं कि किसी भी सूरत रिहा किये नहीं जाते। कुछ अल्फ़ाज़ .....नहीं उतरते पन्नों की सतह पे कुछ इस क़दर नम हैं कि इक नज़्म में लिखे नहीं जाते। मुसकुराहटें कुछ यूँ क़ब्ज़ा रखती हैं लबों रूखसार पर कुछ दर्द अश्कों में बहाये नहीं जाते। कुछ रिश्ते प्रीत के.......सिर्फ़ रूह से होते हैं बावस्ता कोई नाम नहीं उनके अक्स के बस एहसासों से महसूस होते हैं छू के उनके तारूख दिए नहीं जाते।❤️❤️
Image
बेहिसाब आहें सिसकियाँ ना जाने कितनें टूटे ख़्वाबों की किरचनें सहेज रखी हैं सलीक़े से कौन कहता है....... सीने में गुप्त तिजोरियाँ नहीं होती। कफ़न ओढ़े कुछ अरमान ख़ामोश हो चुकी कुछ खाव्हिशें दफ़न हैं तहज़ीब से फिर कौन कहता है...प्रीत ..... सीने में इक छुपी क़ब्र नहीं होती। तन्हाई में भी महफ़िल है सजती धड़कता है इश्क़ ,मोहब्बत है रसक करती धड़कनें रखती हैं महफ़ूज़ रूह को फिर भी ...कौन कहता है ....... सीने में दिल❤️खो जाने पर भी ज़िंदगी ज़िंदा नहीं रहती।❤️❤️
Image
लबों की मुसकुराहटों पे हर दिल फ़िदा तो होतें हैं फिर आँखों के सैलाब से इस क़दर क्यों डरते हो हंस कर कहें जो नज़्म तो हर अल्फ़ाज़ पे वाह होती है दर्द जो बरसा लफ़्ज़ों में तो उस आह से फिर क्यों डरते हो ऐ प्रीत .......ये भी तो कमाल है ना कि हमें चाँद तो कहते हो फिर दाग क़बूल करने से इतना भला क्यों डरते हो❤️❤️
लफ़्ज़ों को अब मेरे स्याही की पोशाक रास आ गई पन्नों से अब गुफ़्तगू कुछ इस क़दर रास आ गई। महफ़िल की तलाश नहीं अब तन्हाई कुछ ख़ास भा गई अल्फाजों को अब मेरे क़लम की जुबां अहसास आ गई ख़ामोशियों में लिपट कर इक शोर का आभास करा गई अकेली नहीं हूँ प्रीत तेरी याद मेरी नज़्म के बहुत पास आ गई ख़ामोशी अब जब से रास आ गई ज़िंदगी इसी बहाने कुछ पास आ गई।❤️❤️
मोहब्बतों का सिला कहीं तो मिले ऐ दिल आजकल हर दिल को बेवफ़ाई क़बूल बहुत है। शराफ़त के बीज बोये तो थे ज़मीर ए ज़मीं पर नहीं खिले फूल ज़मीं बंजर बहुत है। बैरी है इंसा ही इंसानियत का दया का दामन कोसों दूर है जब आयें बाढ़ , तूफां या जलजला कहता है... खुदा बेरहम बहुत है। चाहती हूँ ...ऐ प्रीत इस बार बरसे कुछ यूँ ईमान की बारिश लोगों के ज़मीर पर धूल बहुत है ।❤️❤️
मोहब्बतों का सिला कहीं तो मिले ऐ दिल आजकल हर दिल को बेवफ़ाई क़बूल बहुत है। शराफ़त के बीज बोये तो थे ज़मीर ए ज़मीं पर नहीं खिले फूल ज़मीं बंजर बहुत है। बैरी है इंसा ही इंसानियत का दया का दामन कोसों दूर है जब आयें बाढ़ , तूफां या जलजला कहता है... खुदा बेरहम बहुत है। चाहती हूँ ...ऐ प्रीत इस बार बरसे कुछ यूँ ईमान की बारिश लोगों के ज़मीर पर धूल बहुत है ।❤️❤️
कहा कुछ यूँ उसने ज़रा नादां सा हूँ मैं जो रहें बेपरवाह मुझसे उनकी भी परवाह है मुझे फिर तुम हर लम्हा मेरी फ़िक्र करती हो मेरे लिए बेचैन हो रोती भी हो । ज़रा तल्ख़ मिज़ाज सा हूँ मैं जिन पे ख़फ़ा होता हूँ उन्हीं को जल्द मना भी लेता हूँ फिर तुम कितनी मासूम हो मेरी नाराज़गी को भी चुपचाप सह लेती हो। ऐ मेरी प्रीत .... ज़रा सा पागल हूँ मैं सूखे पत्तों पर भी प्यार आता है मुझे फिर तुम तो मुस्कुराकर पलकें भी झुकाती हो कहो... क्यूँ प्यार ना करूँ तुम्हें ❤️❤️
Image
कुछ ख़्वाब बुने पलकों ने आँखों ने पनाह से दिया टोक कुछ नाज़ुक सी ख़्वाहिशों ने क़दम जो बढ़ाये बंदिशों के दायरों ने लिया रोक कुछ धड़कनों नें चुप से बुन लिया इक साज जो गुनगुनाना तो चाहा मगर रूक गया आके लबों की नोक इक नन्ही सी तमन्ना प्रीत लिए रह गई.....बंद आँखों में जज़्ब ज़हन में घुटी सी दिल में रुके से क़दमों में.......यही सोच कि कुछ कह तो ना देंगे लोक.....❤️❤️
Image
कुछ गुनगुना दें गर मधुर गीत हो जाता है अल्फ़ाज़ कुछ बुन दें गर इक नज़्म से तारूख हो जाता है कुछ बेचैन से हम अगर इक इंतज़ार तलब हो जाता है आँखों से करें ब्यां गर तो ख़ामोशी की जुबां हो जाता है कुछ एहसास रूह के लिबास में गर वो प्रीत की इबादत हो जाता है फिर इश्क़ है प्यार है क्या है जो ख़ामोश भी .....शोर मचाता है❤️❤️
अश्कों को छुपा थोड़ा मुस्कुराया जाए बरसात हर वक्त कहां पसंद आती है। दर्द है तो दफ़न कहीं तहों में कर दिया जाए ठीस किसी दूसरे को कहां महसूस होती है। अल्फ़ाज़ गुम हैं तो ख़ामोश रहा जाए प्रीत तो एहसास में है कहां जुबां से ब्यां होती है।❤️❤️
Image
शायर से तुम उसके राज़ न पूछो... कल खुद ही लिख देगा बस तुम आज न पूछो... लिखेगा दर्द या सुकूं के साज ना पूछो... काग़ज़ का मजमूं बता देगा बस तुम आज ना पूछो.... ख़ामोशियों होंगी ब्यां आवाज़ ना पूछो.... नज़रों से प्रीत ए दास्तां सुना देगा बस तुम आज ना पूछो......❤️❤️
Image
लिखा है  लफ़्ज़ों में दर्द कितना सब पढ़ना भूल गए हैं कोई मुस्कुरा रहा है बेहद क्यूँ आँखों मे भरा समंदर भूल गए हैं कोई महफ़िल में ख़ामोश सहमा सा वो तन्हा है कितना भूल गए हैं किसी का क्या वास्ता किसी से प्रीत क्या अब लोग इंसानियत का नाता भूल गए हैं? लोग ज़िंदगी का सबसे छोटा क़ीमती लफ़्ज़ भूल गए हैं।     ........❤️प्यार ❤️.........
Image
हो जाऊ "तुमसे" दूर फिर "मौहब्बत" किससे करुं तुम हो जाओ नाराज" फिर "शिकायत" किससे करूं इस "दिल" में कुछ भी नहीं तूम्हारी "चाहतों" के सिवा अगर तुम्हें ही भूला "दूं तो फिर प्रीत किससे करूं मुझमें तुम हो इस क़दर जज़्ब तुम ना हो गर मुझमें तो अपनी रूह का तारूख किससे करूं??❤️❤️

कमाल ये है .....

Image
खिजा में यूं बिखरा सा आलम फिर भी खुशबू सा कुछ यूं खिल जाना....                      कमाल ये है खिलाफ हो मिजाज हवा की ज़िद्द पे दीया जलाना और जला कर रखना.....                      कमाल ये है ज़रा सी बात पे तोड दे रिश्ते ये जमाने वाले हर तल्ख लहजे को भूलकर रिश्ता निभाना...                        कमाल ये है ख्याल अपना मिजाज अपना पसंद अपनी इसमें क्या खास है जो वो चाहे वही हाल अपना बना के रखना...                          कमाल ये है किसी की मुस्कुराहटों पे दिल निसार करना  तो क्या है किसी के दर्द पे प्रीत का मरहम रखना....                           कमाल ये है❤️❤️
Image
मैं रहूँ ना रहूँ तुम रहो ना रहो मगर....वक़्त नहीं रहता बहते पानी सा हर लम्हा निकल जाता है। ज़िंदगी का कांरवां पल पल चलता कौन कैसे किससे कब बिछड़ जाता है। मैं किस क़दर हूँ ख़ास मेरे बहुत अपनों के लिए इसी मोह प्रीत में नादां मन बहल सा जाता है। सच ....सच तो ये है...... कोई किसी का नहींद किसी के बिन भी किसी का काम रूकता नहीं कमी... कब तक खले यहाँ वक़्त हर शख़्स का निकल जाता है। ख़ुशी बड़ी या ग़म छोटा दर्द गहरा या मुस्कान के लिबास में लपेटा हर पल हर लम्हें का मंज़र बदल जाता है। ❤️❤️

I'm just me....

Image
I'm just me... I'm not perfect. I've made bad decisions,but I'm me. I've said wrong things I've said right things ,because I'm me. I don't like everything I've done,but I did it because I'm me. I've loved the wrong people and Trusted the wrong people and still I'm me. If.  I had a chance to start again, I wouldn't change a thing. Why ???     Because I'm me. There are a lot of good things about me You just need to look past the imperfections to see what's right? If you can't do that it's your loss. I'm the best I can be I am me😊😊
Image
हर बार मेरे रूबरू आते रहे हो तुम हर बार तुमसे मिलकर बिछडती रही हूँ मैं इक ख़्वाब सी ही है ये मुलाक़ात तुमसे हर बार इस ख़याल को सच मान जीती रही हूँ मैं कुछ लम्हे सुकूं ए ज़िंदगी मुक़र्रर किए तुमने उन्हीं लम्हों को जीने के लिए मरती रही हूँ मैं मेरे दिल को इश्क़ ए ख़याल से संभाला जो तुमने हर बार प्रीत की आँच में मोम बन पिघलती रही हूँ मैं ❤️❤️
Image
कौन है जो मुझे मुझसा समझे मैं ख़ुद ही हूँ जो अपनी वफ़ा समझे तू लिबास बन कि मैं तुझे ओढ़ लूं कोई इस पाक रिश ते को भला क्या समझे मायूस हूँ बहुत अपनों से गुज़ारिश करके मेरी ख़्वाहिशों को बस मेरा खुदा समझे हर लम्हा इक सुकूं हर ख़ुशी उस अज़ीज़ ए नज़र की वो मेरी प्रीत की हद भला क्या समझे❤️❤️
Image
मेरे अल्फाजों को पसंद है बोलने से ज़्यादा लिखना मोहब्बत है इस क़दर इस काग़ज़ से मुझे ये मेरे हर लफ़्ज़ को उतार लेता है अपने सीने पे यहां मेरी ख़ामोशी भी बोलती है मेरा दर्द  भी चीख़ लेता है दबी खाव्हिशें भी उभरती हैं मेरे हर एहसास को सहेज लेता है ना करता है गिला ना कोई एतराज़ करता मेरे हर लहजे ,मिज़ाज को बड़ी प्रीत से बिना कोई शिकायत अपने सीने पे दर्ज करता है मेरे हर दर्द रंज शिकवा मोहब्बत बड़ी ख़ामोशी से ख़ुद में उतार लेता है फिर मेरा भी फ़ितूर इसके लिएआया सुरूर मुझे.कुछ बयां को मजबूर करता है.....और फिर मुझे बोलने से ज़्यादा लिखना बेहतर लगता है।❤️❤️
Image
ज़िंदगी कुछ लम्हे तालाश करती है तेरी ख़ुश्बू कभी मुझमें तालाश करती है कभी महफ़िल में भी तन्हाई ढूँढे कभी अकेले में तेरा क़रीबी एहसास तालाश करती है पीले सूखे बिखरे हुए पत्तों की खिजा वही हसीं फ़िज़ा तालाश करती है इक उम्मीद बार बार आकर मुझमें अपने टूटे टुकड़े तालाश करती है हर दस्तक पे चौंक कर प्रीत क्यूँ इक ख़ास की आहट तालाश करती है सांसे हैं धड़कन है जिस्म ज़िंदा भी है शायद मेरी रूह तेरी इक छुअन की ज़िंदगी तालाश करती है❤️❤️