शिद्दत से उतरना पड़ता है
अक्स को लपेट रूहानी लिबास में
ये बेशक़ीमती इश्क़
ज़रा सी चाहत से नहीं मिलता।
इंतेहां दर्द की पार करके
ज़ख़्मों की ठीस सह के
वो इक मरहमी सुकून
बिना आह! सहे नहीं मिलता।
आजमाईशों की परख से
हर इम्तिहां से गुज़र के ऐ प्रीत
अपने महबूब से मिलन का वो
जन्नत सा हसीं लम्हा यूँ ही नहीं मिलता।
जिसको मिला है
समंदर की गहराइयों से मिला है
लाजवाब मोती किसी को
किनारे पे नहीं मिलता।❤️❤️

Comments

  1. Apki lafzo me kya taarif karo esh duniya me woh shabd he nahi bane shaayad jese main apki taarif kar sako

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