रूबरू तेरे अक्स को
कोई भी निहारेगा
मगर वो तसव्वुर में
बसे तेरे वजूद को
बेइंतहा कैसे चाहेगा।

ज़िंदगी में क़िस्मत से
कोई भी दर्ज हो कर
तेरा हाथ थाम पायेगा
बिन जुड़े तेरी लकीरों से
कौन ता उम्र साथ निभायेगा।

हर रिश्ता इक नाम से
तुझ संग तेरा हो जायेगा
बिन नाते कौन तेरी
प्रीत की रीत निभायेगा।

कर लो जाओ तालाश
इक ज़िंदगी बसर किसी में
थक जाओगे तरस जाओगे
हम सी मोहब्बत तुम्हें
कोई भी कर ना पायेगा।❤️❤️

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