खुशफहमियां रखते हैं
अपने दिल में
इसमें हर्जा क्या है
हर टूटी उम्मीद पे
बिखर जायें....तो मज़ा क्या है।

मोहब्बत के सिवा
सनम की
और गजा क्या है
प्रीत हो तुम्हीं से मुकम्मल
ये बताना पड़े .....तो मज़ा क्या है।

प्यार जितना भी हो दिलकश
पर इससे बड़ी
और सज़ा क्या है
हर पल उसी पे मरना
और उसी के लिए जीना
इसके सिवा इश्क़ में.....मज़ा क्या है।

आँखें पढ़ो और जानो
हमारी रजा क्या है
हर बात लफ़्ज़ों से हो
जानम.......तो मज़ा क्या है।❤️❤️

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