भेजूँगी कुछ यादों के लम्हे
तसव्वुर में उस वक़्त की
दहलीज़ पे जाना
रूबरू हो जाऊँ महसूस गर मैं
फिर ज़रा सा मुस्कुरा देना।
भेजूँ जो हवाओं के संग
अपनी महक कभी मैं
तुम ज़रा ओढ़ लेना
उतरूँ रूह में लिपटूं बदन से
फिर ज़रा सा मुस्कुरा देना।
भेज रही हूँ थोड़ी रोशनी मैं
इक दीया तुम भी जला लेना
दीया और बाती जब इकमिक हो जाऐं
तब प्रीत से मिलने की चाह में
बस थोड़ा सा मुस्कुरा देना।❤️❤️
तसव्वुर में उस वक़्त की
दहलीज़ पे जाना
रूबरू हो जाऊँ महसूस गर मैं
फिर ज़रा सा मुस्कुरा देना।
भेजूँ जो हवाओं के संग
अपनी महक कभी मैं
तुम ज़रा ओढ़ लेना
उतरूँ रूह में लिपटूं बदन से
फिर ज़रा सा मुस्कुरा देना।
भेज रही हूँ थोड़ी रोशनी मैं
इक दीया तुम भी जला लेना
दीया और बाती जब इकमिक हो जाऐं
तब प्रीत से मिलने की चाह में
बस थोड़ा सा मुस्कुरा देना।❤️❤️
wah wah kya baat hai shayra sahiba so beautiful line
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