कौन है जो मुझे मुझसा समझे
मैं ख़ुद ही हूँ जो अपनी वफ़ा समझे

तू लिबास बन कि मैं तुझे ओढ़ लूं
कोई इस पाक रिश ते को भला क्या समझे

मायूस हूँ बहुत अपनों से गुज़ारिश करके
मेरी ख़्वाहिशों को बस मेरा खुदा समझे

हर लम्हा इक सुकूं हर ख़ुशी उस अज़ीज़ ए नज़र की
वो मेरी प्रीत की हद भला क्या समझे❤️❤️

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