कहा कुछ यूँ उसने
ज़रा नादां सा हूँ मैं
जो रहें बेपरवाह मुझसे
उनकी भी परवाह है मुझे
फिर तुम हर लम्हा मेरी फ़िक्र करती हो
मेरे लिए बेचैन हो रोती भी हो ।
ज़रा तल्ख़ मिज़ाज सा हूँ मैं
जिन पे ख़फ़ा होता हूँ
उन्हीं को जल्द मना भी लेता हूँ
फिर तुम कितनी मासूम हो
मेरी नाराज़गी को भी चुपचाप सह लेती हो।
ऐ मेरी प्रीत ....
ज़रा सा पागल हूँ मैं
सूखे पत्तों पर भी प्यार आता है मुझे
फिर तुम तो मुस्कुराकर
पलकें भी झुकाती हो
कहो... क्यूँ प्यार ना करूँ तुम्हें ❤️❤️
ज़रा नादां सा हूँ मैं
जो रहें बेपरवाह मुझसे
उनकी भी परवाह है मुझे
फिर तुम हर लम्हा मेरी फ़िक्र करती हो
मेरे लिए बेचैन हो रोती भी हो ।
ज़रा तल्ख़ मिज़ाज सा हूँ मैं
जिन पे ख़फ़ा होता हूँ
उन्हीं को जल्द मना भी लेता हूँ
फिर तुम कितनी मासूम हो
मेरी नाराज़गी को भी चुपचाप सह लेती हो।
ऐ मेरी प्रीत ....
ज़रा सा पागल हूँ मैं
सूखे पत्तों पर भी प्यार आता है मुझे
फिर तुम तो मुस्कुराकर
पलकें भी झुकाती हो
कहो... क्यूँ प्यार ना करूँ तुम्हें ❤️❤️
Super duper hit post .
ReplyDeleteKahna toh bahut kuch chaahta hu usse pyaari se mohabbat ko par kah kaha pata hu rahna hai uske bina main jaanta hu par rah kaha pata hu
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