कुछ गुनगुना दें गर
मधुर गीत हो जाता है
अल्फ़ाज़ कुछ बुन दें गर
इक नज़्म से तारूख हो जाता है
कुछ बेचैन से हम अगर
इक इंतज़ार तलब हो जाता है
आँखों से करें ब्यां गर
तो ख़ामोशी की जुबां हो जाता है
कुछ एहसास रूह के लिबास में गर
वो प्रीत की इबादत हो जाता है
फिर इश्क़ है प्यार है क्या है
जो ख़ामोश भी .....शोर मचाता है❤️❤️

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