बेहिसाब आहें सिसकियाँ
ना जाने कितनें
टूटे ख़्वाबों की किरचनें
सहेज रखी हैं सलीक़े से
कौन कहता है.......
सीने में गुप्त तिजोरियाँ नहीं होती।
कफ़न ओढ़े कुछ अरमान
ख़ामोश हो चुकी कुछ खाव्हिशें
दफ़न हैं तहज़ीब से
फिर कौन कहता है...प्रीत .....
सीने में इक छुपी क़ब्र नहीं होती।
तन्हाई में भी महफ़िल है सजती
धड़कता है इश्क़ ,मोहब्बत है रसक करती
धड़कनें रखती हैं महफ़ूज़ रूह को
फिर भी ...कौन कहता है .......
सीने में दिल❤️खो जाने पर भी
ज़िंदगी ज़िंदा नहीं रहती।❤️❤️

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