कमाल ये है .....
खिजा में यूं बिखरा सा आलम फिर भी
खुशबू सा कुछ यूं खिल जाना....
कमाल ये है
खिलाफ हो मिजाज हवा की ज़िद्द पे
दीया जलाना और जला कर रखना.....
कमाल ये है
ज़रा सी बात पे तोड दे रिश्ते ये जमाने वाले
हर तल्ख लहजे को भूलकर रिश्ता निभाना...
कमाल ये है
ख्याल अपना मिजाज अपना पसंद अपनी इसमें क्या खास है
जो वो चाहे वही हाल अपना बना के रखना...
कमाल ये है
किसी की मुस्कुराहटों पे दिल निसार करना तो क्या है
किसी के दर्द पे प्रीत का मरहम रखना....
कमाल ये है❤️❤️
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