इक सोच की बूँद से
ख़्वाब समंदर हो जाऊँ
मैं तेरी आँखों से गुज़र कर
तेरे दिल की ज़मीं पे
बस जाऊँ ।
तेरे दिल में ज्जब हो कर
तेरी धड़कन हो जाऊँ
मैं जिंदा हूँ तुझसे और
तुझपे ही मर जाऊँ ।
तेरे जिस्म की काया बन कर
तेरी ही प्रीत हो जाऊँ
मैं रूबरू अक्स आइने का
तेरी रूह की रग रग समा जाऊँ।
तेरे इश्क़ में ढूब कर
क़तरे से दरिया हो जाऊँ
मैं तुमसे शुरू होकर
तुझमें ही ख़त्म हो जाऊँ।❤️❤️
ख़्वाब समंदर हो जाऊँ
मैं तेरी आँखों से गुज़र कर
तेरे दिल की ज़मीं पे
बस जाऊँ ।
तेरे दिल में ज्जब हो कर
तेरी धड़कन हो जाऊँ
मैं जिंदा हूँ तुझसे और
तुझपे ही मर जाऊँ ।
तेरे जिस्म की काया बन कर
तेरी ही प्रीत हो जाऊँ
मैं रूबरू अक्स आइने का
तेरी रूह की रग रग समा जाऊँ।
तेरे इश्क़ में ढूब कर
क़तरे से दरिया हो जाऊँ
मैं तुमसे शुरू होकर
तुझमें ही ख़त्म हो जाऊँ।❤️❤️
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