मोहब्बत कोई हवस नहीं
जो ख़ूबसूरत जिस्मों में
सहला जाए
मोहब्बत इक नशा है
लत लग जाती है मगर
इस बिन गुज़ारा नहीं होता।

मोहब्बत कोई क़यास नहीं
जो हर लम्हा ज़ायक़े सा
बदला जाए
मोहब्बत वो ज़हर है
मर जाना मंज़ूर कर
किनारा नहीं किया जाता।

मोहब्बत कोई फाँस नहीं
जो हर साँस दहला जाए
मोहब्बत क़ब्र है
प्रीत पे मर कर
फिर जिंदा उभरा नहीं जाता।

मोहब्बत इक लिबास नहीं
जो रोज़ बदला जाए
मोहब्बत कफ़न है
पहन कर
उतारा नहीं जाता।❤️❤️

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