तेरी चाहत ,तेरा प्यार
और ये ज़िंदगी की वहशत
हम तन्हा खड़े रह जाते हैं
जब तुम्हें जाने से रोक नहीं पाते।

तेरी सोहबत, तेरा इज़हार
और ये क़िस्मत के तरकश
टूट कर भी महफ़िल सजाते हैं
हम जब तेरी पनाह नहीं पाते।

तेरी प्रीत , तेरा इकरार
और ये रिवाजों के दायरों के अंकुश
अपनी दरारों को समेट कर
बस, पूरे हो जाते हैं
हम जब तेरी याद में बिखर नहीं पाते।

तेरी ज़रूरत , तेरा इंतज़ार
और ये कश्मकश
थक कर मुस्कुरा देते हैं
हम जब रो नहीं पाते।❤️❤️

Comments

Popular posts from this blog