सुनो कुछ चुनें
रास्ते पगडंडियाँ जो
आ जाएें हमें रास
बरस हुए खिजा ठहरे
हमारे दरमियाँ
प्रीत के फूल खिले हुए।

तितलियाँ भँवरे
आकर देते रहे
पैग़ाम हमें कुछ ख़ास
मुदद्तें हुई हमें तेरे
जुगनुओं से मिले हुए।

सुनो इक ख़बर सच दो
हमें मिलने की
 नहीं अब कोई क़यास
ज़माना हुआ तेरे दीदार को
मेरे रूबरू खिले हुए।

आओ बनाए पुल कोई
अपने ही आस पास
अरसा हुआ आपको
मुझसे मिले हुए।❤️❤️

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