क़ैद कर रख लूँ
अपनी मोहब्बत में
ये चाहा नहीं
मैं रिहा ना हो पाऊँ
तेरे इश्क़ पिंजरे से
हाँ ..ये तमन्ना ज़रूर है।
चुरा लूँ तुमको तुमसे
ये मैंने सोचा नहीं
खो जाऊँ मुकम्मल तुझमें
हाँ ..ये आस ज़रूर है।
छुपा लूँ लकीरों मे
बंद प्रीत की मुट्ठी में
ये किया ख़याल नहीं
ज्जब हो जाऊँ तेरे पूरे
अक्स ओ रूह में
हाँ ..ये ख़्वाहिश जरूर है।
बाँध लूँ तुम्हें खुदसे
ये तमन्ना नहीं
बंध जाऊँ तुमसे
हाँ ..ये आरज़ू जरूर है।❤️❤️
अपनी मोहब्बत में
ये चाहा नहीं
मैं रिहा ना हो पाऊँ
तेरे इश्क़ पिंजरे से
हाँ ..ये तमन्ना ज़रूर है।
चुरा लूँ तुमको तुमसे
ये मैंने सोचा नहीं
खो जाऊँ मुकम्मल तुझमें
हाँ ..ये आस ज़रूर है।
छुपा लूँ लकीरों मे
बंद प्रीत की मुट्ठी में
ये किया ख़याल नहीं
ज्जब हो जाऊँ तेरे पूरे
अक्स ओ रूह में
हाँ ..ये ख़्वाहिश जरूर है।
बाँध लूँ तुम्हें खुदसे
ये तमन्ना नहीं
बंध जाऊँ तुमसे
हाँ ..ये आरज़ू जरूर है।❤️❤️
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