आओ....ना जाना
कुछ एहसास करते हैं
इक आसमां इक चाँद
मैं यहाँ    तुम वहाँ
आसमां पे इस चाँद को
इक साथ तकते हैं
इस रात के पहलू में
हम अपनी प्रीत का
मीठा एहसास करते हैं।

आओ.....ना जाना
कुछ महसूस करते हैं
ये हवा   ये झोंके
मैं यहाँ      तुम वहाँ
इस हवा से तेरी ख़ुशबू का
मुझमें सिमटना
मेरी छुअन का तुमसे लिपटना
अपनी मोहब्बत को हम
दूर से भी पास सा
यूँ महसूस करते हैं।

आओ.....ना जाना
कुछ बातें करते हैं
मैं यहाँ।     तुम वहाँ
बिन देखे   बिन बोले
बिन सुने   इक तन्हा
मुलाक़ात करते हैं।❤️❤️

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