महसूस कुछ...यूँ होता है
ज़िंदगी में
मशगूल हो गए हो
शायद.....
या फिर...ज़हन में
क़ैद ए जबर् रखते हो।

आभास कुछ...यूँ होता है
ज़िम्मेदारियों में
उसूल हो गए हो
शायद.....
या फिर...ज़बरदस्त
नज़रअंदाज़ ए अबर् रखते हो।

शक सा कुछ...यूँ होता है
बेपरवाही को
क़बूल हो गए हो
शायद.....
या फिर...प्रीत दफ़्न को
दिल ए क़ब्र रखते हो।

मालूम कुछ...होता है
भूल गए हो
शायद.....
या फिर...कमाल का
सबर् रखते हो।❤️❤️

Comments

Popular posts from this blog