असर तेरे तसव्वुर का
ज्जब है अब तक
हर लम्हा अपने वजूद को
तेरे अक्स में
पिरोया मैंने।

नब्ज़ बेचैन सी धधकती है
कलाइयों में अब तक
कितनी मरतबा
खुद को तेरी उँगलियों से
छुड़ाया मैंने।

सांसे गरम तेज़ लहकती हैं
सीने में अब तक
हर बार तेरी महक से
प्रीत को छुपाया मैंने।

रंग तेरी यादों का
ना उतरा अब तक
लाख बार खुद को
आँसुओं से धोया मैंने।❤️❤️

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