एहसास लगाव का
उस जानिब कुछ इस क़दर
महसूस होने लगा
मैं उसे दिल में
सहेजने लगी.....
तो...वो मुझमें ही
धड़कने लगा।

अक्स मेरा कुछ इस क़दर
उसके साँचे मे
ढलने लगा
मैं उसकी तस्वीर
उकेरने लगी.....
तो...वो मेरी तस्वीर में
अपने रंग भरने लगा।

ऐतबार मेरा उस पर
कुछ इस क़दर
बढ़ने लगा
मैं बेपर्दा उसकी रूह में
समाने लगी.....
तो...वो खुद को लिबास कर
मुझको ढकने लगा।

रिश्ता उससे इस तरह
कुछ मेरा बढ़ने लगा
मैं उसे लिखने लगी.....
तो...वो मुझे पढ़ने लगा।❤️❤️

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