दास्तानें मोहब्बत की किताबों के लफ़्ज़ों में ही नहीं जिंदा दिलों के तहखानों में मिले। चाँद भी दिखा नहीं रात की सेज पे उससे कहना अब दिन के उजालों में मिले। मुसकहटों तले दफ़न है वो आहह दर्द की ज़िंदगी हसीं है....... हाँ सुना तो है पर ये तो बस मिसालों में मिले। प्रीत ने पाया है तुम्हें अपनी रूह ए धड़क में अकसर तुम उलझे से मेरे बालों में मिले।❤️❤️
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Showing posts from March, 2020
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क्यूँ इक सोच मेरे मन की वही ख़याल तेरे ज़हन में ना हो वो ताल्लुक़ ए वफ़ा ही क्या .. जो इधर हो उधर ना हो। क्यूँ इक कसक मुलाक़ात की तुझे भी वही जुस्तजू ना हो वो तड़प ए मोहब्बत ही क्या .. जो इधर हो उधर ना हो। क्यूँ इक तलब दीदार की उस सहरा को बारिश की प्यास ना हो वो सबर् ए प्रीत ही क्या .. जो इधर हो उधर ना हो। क्यूँ इक दिल की दूसरे दिल को ख़बर ना हो वो दर्द ए इश्क़ ही क्या .. जो इधर हो उधर ना हो।❤️❤️
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कुछ ज़ख़्म इस क़दर दिए हैं अपनों ने घायल अपनों की ही मोहब्बत से हुए हैं हम। जरा सलीक़े से कहते खुदाया उफ़्फ़ ! ना करते मगर ख़ंजर से अल्फाजों से बेहद घायल हुए हैं हम। पहचानना ही छोड़ दे जब आईना मेरे अक्स को फिर अपने ही घर में अनजान हुए हैं हम। कभी मुश्किल कभी आसां सी ज़िंदगी में हर बार नये आग़ाज़ से परेशान हुए हैं हम। लोग इल्ज़ाम बड़ी बड़ी तबीयत से लगाते हैं प्रीत लगा कर कुछ यूँ बदनाम हुए हैं हम।❤️❤️
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जिस्म है जान है या दिल है ये धक धक से मुझमें धड़कता कौन है? लफ़्ज़ है बात है या ग़ज़ल है ये मीठा मीठा सा मुझे गुनगुनाता कौन है? इश्क़ है लगाव है या प्रीत है ये ज़र्रा ज़र्रा मेरी रूह बसता कौन है? इंतज़ार है याद है या दर्द है ये पल पल बेचैन मुझमें तड़पता कौन है? हालात है वक़्त है या खुदा है ये रह रह के मुझे परखता कौन है?❤️❤️
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तमन्नाओं को जबर् रोक दिया इंतज़ार ए दहलीज़ पे इक आस....... फिर कसमसा कर उभरी मैं हूँ .......तो तिशनगी है। चाहतों का ज़हर पी लिया सबर् के घूँट में तेरी प्रीत ....... फिर मचल कर उठी मैं हूँ .......तो दीवानगी है। हसरतों को ओढ़ कर सुला दिया काँटों की ही सेज पे जुस्तजू ........ फिर तड़प कर उठी मैं हूँ ........तो रवानगी है। ख़्वाहिशों को दफ़ना दिया ख़्वाबों की कबर् में उम्मीदें .......... फिर ये कह कर उठी मैं हूँ ........तो ज़िंदगी है।❤️❤️
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तंज वेहशतों का भी हम बड़ी तबीयत से लगा लेते हैं ऐ रूसवा सी ज़िंदगी .... हम अपने बिखरे टुकड़ों को भी कुछ तसल्ली से समेट लेते हैं। सबर् का मरहम भी हम बड़ी किफ़ायत से लगा लेते हैं ऐ दर्द अता ज़िंदगी .... हम सिसकते फीके लबों पर भी गुलाबी ज़ख़्म सजा लेते हैं। नज़रअंदाज़ रवैया ठीस का भी प्रीत बड़ी मासूमियत से लगा लेते हैं ऐ नकचढ़ी सी ज़िंदगी ..... हम अश्कों से भरी आँखों पर भी मुस्कुराती पलकों को बिछा लेते हैं। कहकहा दर्द का भी हम बड़ी शिद्दत से लगा लेते हैं ऐ तू देख ज़िंदगी .... हम ग़म में भी मुस्कुरा लेते हैं।❤️❤️
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तन्हा भी वही कर देते हैं जो कहते हैं..... तुम दूरियों में भी मेरे वजूद में शामिल रहते हो। ख़ामोश भी वही कर देते हैं जो कभी कहते हैं..... तुम अपने बोलों से मुझमें सुकूं भर देते हो। बेकद्र भी वही कर देते हैं जो कभी कहते हैं..... तुम मेरी ज़िंदगी में सबसे ख़ास मुक़ाम रखते हो। नाउम्मीद भी वही कर देते हैं जो कहते हैं..... तुम मेरी बेबसी को नया मोड़ देने का हक़ रखते हो। रूलाने वाले भी वही होते हैं जो कहते हैं..... तुम मुस्कुराते हुए बहुत अच्छे लगते हो ।❤️❤️
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तेरी यादों के दामन में खुद को समेटते यूँ लगा ...कि इज़हार ए वफ़ा से तन्हा कुछ भी नहीं। तुम्हें आइने के अक्स में रूह तक तलाशते यूँ लगा ...कि मेरा तारूख मुझमें तेरी मौजूदगी के सिवा और कुछ है ही नहीं। तुम्हें सहेज कर खुद के दिल ए क़ब्र रखते यूँ लगा ...कि प्रीत की जान तेरी धड़कनों से परे कहीं भी नहीं। तुम्हें सोचते हर लम्हा मेरे तसव्वुर के झरोंखों में यूँ लगा ...कि तालाश ख़्वाबों की तेरे बिना कोई नहीं। तुम्हें लिखते हुए यूँ लगा ...कि इंतज़ार से लंबा कोई शब्द नहीं।❤️❤️
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इक चुभती सी दर्द ज़ुबानी है तेरे बिन..... सह भी लेते हैं , सहा भी नहीं जाता। इक कसमसाती सी कहानी है तेरे बिन..... कह भी लेते हैं , कहा भी नहीं जाता। इक तड़पते अरमानों की रवानी है तेरे बिन..... बह भी लेते हैं , बहा भी नहीं जाता। इक लंबे हिजर् में घुलती जवानी है तेरे बिन..... कर्राह भी लेते हैं , कर्राहा भी नहीं जाता। इक शिद्दत ए इश्क़ की प्रीत रूहानी है तेरे बिन..... चाह भी लेते हैं ,चाहा भी नहीं जाता। इक अजीब सी बेचैनी है तेरे बिन..... रह भी लेते हैं ,रहा भी नहीं जाता।❤️❤️
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क्या ऐसा नहीं हो सकता हम बेसब्र तेरा दीदार माँगें और तुम अचानक मेरे रूबरू आकर कहो और कुछ.....? क्या ऐसा नहीं हो सकता हम आँसू बहाने को तेरा कंधा माँगें और मेरे अश्कों को हँसी में बदल कर तुम कहो और कुछ......? क्या ऐसा नहीं हो सकता हम उलझनें सुलझाने को तुम्हें माँगे और हर कश्मकश से मेरा हाथ पकड़ निकाल कर तुम कहो प्रीत ......💓 और कुछ.......? क्या ऐसा नहीं हो सकता हम सिर्फ़ तेरा प्यार माँगें और तुम गले लगा के कहो और कुछ........? बोलो ना.....प्रीत और कुछ.........?❤️❤️
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दहलीज़ की घंटियों की कन्नाहट पे घर के पर्दों की सरसराहट पे मेरी करवट के पीछे तेरे वजूद की आहट पे जब कुछ यूँ तेरे होने का आभास होता है...या इक ख़याल है..... ख़याल ही है शायद। आँगन में सूखे पत्तों की चरमराहट पे परिंदों की अचानक चहचहाट पे हवा में तेरी ख़ुशबू की तरावट पे जब कुछ अपने आस पास यूँ तेरा एहसास होता है ...या इक ख़याल है..... ख़याल ही है शायद। तन्हा बैठी तेरी यादों में मुस्कुराहट पे रोती आँखों में लबों की कर्राहट पे अपने रूखसार पे तेरी छुअन की झनझनाहट पे जब प्रीत को तुम्हारी आग़ोश कुछ यूँ महसूस होती है ...या इक ख़याल है..... हाँ ये ख़याल ही है ....शायद।❤️❤️
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बेशक तू गुम है सहरा की तनहाईयों में कहीं अपनी मोहब्बत तेरे इश्क़ को सौंप रखी है एतबार है इस क़दर कि तू बदलेगा नहीं बस..इसी तसल्ली पर बदगुमानियां ज़हन से रोक रखी हैं। दूरियाँ है क़यामत की दरमियाँ अपने फिर भी सबसे नज़दीकियों की कड़ी तुमसे जोड़ रखी है महफ़ूज़ है प्रीत की नाज़ुक धड़कनें तुझमें बस..इसी हिफ़ाज़त के सदके सांसें रोक रखी हैं। कि तू जहाँ भी होगा हमें चाहेगा इस बेचैनी में ज़िंदगी झोंक रखी है और तू कहीं आये तो तुझे कुछ बदला ना मिले बस..इसी वजह से घड़ी की सुइयाँ रोक रखी हैं।❤️❤️
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जिसे परवाह ही नहीं मेरे पलकें भिगोने से वो क्या दर्द समझेगा मेरे उदास होने से। वो कभी पिघला ही नहीं मेरे ख़ाक होने से वो क्या तन्हा होगा मेरे तबाह होने से। वो कभी सहमा नहीं मेरे टूट जाने से वो क्या सहेज लेगा मेरे बिखरे होने से। वो कभी रूका नहीं मेरे लापता होने से वो क्या इंतज़ार करेगा प्रीत के बिछड़ जाने से। वो कभी डरा नहीं मुझे खोने से वो क्या अफ़सोस करेगा मेरे ना होने से।❤️❤️