जिसे परवाह ही नहीं
मेरे पलकें भिगोने से
वो क्या दर्द समझेगा
मेरे उदास होने से।
वो कभी पिघला ही नहीं
मेरे ख़ाक होने से
वो क्या तन्हा होगा
मेरे तबाह होने से।
वो कभी सहमा नहीं
मेरे टूट जाने से
वो क्या सहेज लेगा
मेरे बिखरे होने से।
वो कभी रूका नहीं
मेरे लापता होने से
वो क्या इंतज़ार करेगा
प्रीत के बिछड़ जाने से।
वो कभी डरा नहीं
मुझे खोने से
वो क्या अफ़सोस करेगा
मेरे ना होने से।❤️❤️
मेरे पलकें भिगोने से
वो क्या दर्द समझेगा
मेरे उदास होने से।
वो कभी पिघला ही नहीं
मेरे ख़ाक होने से
वो क्या तन्हा होगा
मेरे तबाह होने से।
वो कभी सहमा नहीं
मेरे टूट जाने से
वो क्या सहेज लेगा
मेरे बिखरे होने से।
वो कभी रूका नहीं
मेरे लापता होने से
वो क्या इंतज़ार करेगा
प्रीत के बिछड़ जाने से।
वो कभी डरा नहीं
मुझे खोने से
वो क्या अफ़सोस करेगा
मेरे ना होने से।❤️❤️
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