तमन्नाओं को जबर् रोक दिया
इंतज़ार ए दहलीज़ पे
इक आस.......
फिर कसमसा कर उभरी
मैं हूँ .......तो तिशनगी है।
चाहतों का ज़हर पी लिया
सबर् के घूँट में
तेरी प्रीत .......
फिर मचल कर उठी
मैं हूँ .......तो दीवानगी है।
हसरतों को ओढ़ कर सुला दिया
काँटों की ही सेज पे
जुस्तजू ........
फिर तड़प कर उठी
मैं हूँ ........तो रवानगी है।
ख़्वाहिशों को दफ़ना दिया
ख़्वाबों की कबर् में
उम्मीदें ..........
फिर ये कह कर उठी
मैं हूँ ........तो ज़िंदगी है।❤️❤️
इंतज़ार ए दहलीज़ पे
इक आस.......
फिर कसमसा कर उभरी
मैं हूँ .......तो तिशनगी है।
चाहतों का ज़हर पी लिया
सबर् के घूँट में
तेरी प्रीत .......
फिर मचल कर उठी
मैं हूँ .......तो दीवानगी है।
हसरतों को ओढ़ कर सुला दिया
काँटों की ही सेज पे
जुस्तजू ........
फिर तड़प कर उठी
मैं हूँ ........तो रवानगी है।
ख़्वाहिशों को दफ़ना दिया
ख़्वाबों की कबर् में
उम्मीदें ..........
फिर ये कह कर उठी
मैं हूँ ........तो ज़िंदगी है।❤️❤️
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