तंज वेहशतों का भी हम
बड़ी तबीयत से लगा लेते हैं
ऐ रूसवा सी ज़िंदगी ....
हम अपने बिखरे टुकड़ों को भी
कुछ तसल्ली से समेट लेते हैं।

सबर् का मरहम भी हम
बड़ी किफ़ायत से लगा लेते हैं
ऐ दर्द अता ज़िंदगी ....
हम सिसकते फीके लबों पर भी
गुलाबी ज़ख़्म सजा लेते हैं।

नज़रअंदाज़ रवैया ठीस का भी प्रीत
बड़ी मासूमियत से लगा लेते हैं
ऐ नकचढ़ी सी ज़िंदगी .....
हम अश्कों से भरी आँखों पर भी
मुस्कुराती पलकों को बिछा लेते हैं।

कहकहा दर्द का भी हम
बड़ी शिद्दत से लगा लेते हैं
ऐ तू देख ज़िंदगी ....
हम ग़म में भी मुस्कुरा लेते हैं।❤️❤️

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