दिल से सुन ज़रा ये दिल की दासतां लफ़्ज़ों में कहां ये हो पायेंगी ब्यां धड़कनों में सुन ये आँखों की कहानियाँ बातें ना बुन बस,ख़ामोशी को कर जुबां तुझको ओढ़ कर अपने जिस्म ओ रूह पर मुझे चाहिये बस, तुझमें ही पनाह कुछ लम्हों की दासतां नहीं अपने दरमियां ये प्रीत ए इश्क़ रहेगा आख़िरी साँस तक रवां।❤️❤️
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Showing posts from September, 2019
Me
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Dear Me I used to dislike being sensitive. I thought it made me weak . But take away that single trait, and you take away the very essence of who I am. You take away my conscience, my ability to empathize, my intuition, my creativity, my deep appreciation of the little things, my vivid inner life, my keen awareness to others pain and my passion for it all.❤️❤️
वो......इक रात
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इक काली सी तन्हा रात इक क़तरा चाँद हो साथ टिमटिमाती चादर सा आसमां कुछ बरसी ओस की विसात हवा भी मस्त बिखेरती साज जुगनूयों की रोशन बारात मेरी गोद में सर हो तेरा और बेहद नशीला मोहब्बत का एहसास तेरे बालों में मेरी सरकती उँगलियाँ तेरी धीमे मुझे पुकारती आवाज़ और मेरी हामी हो, हर जो तू कहे बात मेरी प्रीत हो तेरे इश्क़ के साथ कुछ ऐसे गुज़रती इक दिलकश रात कितनी हसीं होती वो अपनी रात❤️❤️
तू मुझे मिलने आना.....
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दुनिया ना दे इल्ज़ाम कहीं तू मुझे ख़्वाबों में मिलने आना लफ़्ज़ों की इक ग़ज़ल बन तू मुझे किताबों में मिलने आना। रूबरू मिलने की हो मनाही तू मुझे सबाबों में मिलने आना ख़ुशबू को समा लें हम रूह तक तू मुझे गुलाबों में मिलने आना। नग़मों को प्रीत में गुनगुनाओ तो तू मुझे रबाबों में मिलने आना तोहमत ना दे ज़माना होश में लड़खड़ाने का तू मुझे शराबों में मिलने आना।❤️❤️
कहो ना ...क्या तुम्हें फ़र्क़ पड़ता है
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कहो ना....... क्या तुम्हें कोई फ़र्क़ पड़ता है? तन्हाइयों में मेरे इक ख़्याल से मैं रूबरू नहीं ......मलाल से मेरे लबों पे बिखरी हँसी से या आँखों में क्यूँ है नमी..इस बेकसी से ये लंबे सालों के इंतज़ार से दिल की अनकही बातों के इंतज़ार से प्रीत का हर बात में आते ज़िक्र से हर वक़्त होती सिर्फ़ मेरी फ़िक्र से कहो ना........तुम्हें फ़र्क़ तो पड़ता है ना??❤️❤️
तेरे सिवा और कहाँ ........
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जागना भी क़बूल है तेरी यादों में रात भर तेरे एहसासों में जो सुकूं है दिलबर वो नींद में कहाँ। बेसब्र चाह तुझे देखने की इस क़दर जो बेचैनी तेरे तसव्वुर में सनम वो सबर् ए दीदार में कहां। तड़प मंज़ूर तेरी तिशनगी में कुछ ऐसी जो लुत्फ़ तेरे दर्द ए इश्क़ में जाना वो आराम दवा में कहां अश्क़ भी अपना लिए प्रीत ए जुदाई में इस क़दर जो मज़ा तेरे इंतज़ार में सनम वो चंद लम्हों के मिलन में कहां।❤️❤️
साथ दो
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बड़ा दुश्वार है ये रास्ता जो चल सको तो साथ दो ये ज़िंदगी का मीलों फ़ासला मिटा सको तो साथ दो। दबा रखा दर्द है ढके से ज़ख़्म भी जो उठती ठीस सह सको तो साथ दो इक सैलाब अश्कों का समेट ख़ुद में खिल के मुस्कुरा सको तो साथ दो। हर लम्हा सख़्त इम्तिहां यहां हर पग आजमाइशें हज़ारों यहां भारी दर्द की गठरियों का बोझ तुम भी उठा सको तो साथ दो। ये ज़िंदगी है सनम प्रीत की बस्तियों की बसर है सुकूं और बेचैनियों का साथ साथ ही कभी संग रो सको और कभी रोते हुए भी हँसा सको ......तो साथ दो।❤️❤️