तरसता है

इक ऐसी दुनिया में बसने को तरसता है
भीड़ के शोर ओ गुल में तन्हाई को तरसता है
रिश्तों को सभांलते सँवारते ता उम्र
फिर हर लम्हा ख़ुद से मिलने को तरसता है
इश्क़ है प्यार है हर क़दम पे जाँ निसार हैं
इक ये मासूम दिल है कि फ़क़त तेरी ही प्रीत को तरसता है❤️❤️

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