साथ दो

  बड़ा दुश्वार है ये रास्ता
जो चल सको तो साथ दो
ये ज़िंदगी का मीलों फ़ासला
मिटा सको तो साथ दो।

दबा रखा दर्द है ढके से ज़ख़्म भी
जो उठती ठीस सह सको तो साथ दो
इक सैलाब अश्कों का समेट ख़ुद में
खिल के मुस्कुरा सको तो साथ दो।

हर लम्हा सख़्त इम्तिहां यहां
हर पग आजमाइशें हज़ारों यहां
भारी दर्द की गठरियों का बोझ
तुम भी उठा सको तो साथ दो।


ये ज़िंदगी है सनम प्रीत की बस्तियों की
बसर है सुकूं और बेचैनियों का साथ साथ ही
कभी संग रो सको और कभी रोते हुए भी
हँसा सको ......तो साथ दो।❤️❤️

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