तू मुझे मिलने आना.....

दुनिया ना दे इल्ज़ाम कहीं
तू मुझे ख़्वाबों में मिलने आना
लफ़्ज़ों की इक ग़ज़ल बन
तू मुझे किताबों में मिलने आना।

रूबरू मिलने की हो मनाही
तू मुझे सबाबों में मिलने आना
ख़ुशबू को समा लें हम रूह तक
तू मुझे गुलाबों में मिलने आना।

नग़मों को प्रीत में गुनगुनाओ तो
तू मुझे रबाबों में मिलने आना
तोहमत ना दे ज़माना होश में लड़खड़ाने का
तू मुझे शराबों में मिलने आना।❤️❤️

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