सिमटा अक्स
हर पहलू जानते हैं
मुझे लोग.....
बिखरा सा वजूद
हर रग मुझमें
उसका भी है।

अधूरा मेरा
किरदार नहीं जानते हैं
ये लोग........
पूरा जो करे
मुझे ज़रूरत
उस इन्सां की भी है।

गुम हुआ सा
प्रीत में मुझे
मानते हैं लोग....
मिला हुआ सा
मुझमें इश्क़
उसका भी है।

दर्द हर लफ़्ज़
मेरी नज़्म यूँ
समझते हैं  लोग.....
मरहम बन
मेरे अल्फाजों पे
लिपटा हुआ कोई
और भी है।

सुलझा हुआ सा
समझते हैं मुझको
लोग..............
उलझा हुआ सा
मुझमें कोई
दूसरा भी है।❤️❤️

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