मनाया है अपनी
नींद को बस
इसी बहाने पर..कि
वो मिलने आयेगा ज़रूर
यहीं पलकों के
चिनारों पर।

दबा ली बेचैनियां
अपनी धड़कनों की बस
इसी मुहारे पर..कि
वो हर धड़क चूम लेगा
सीने से लग
मेरे दिल के मीनारों पर।

सबर् कर लिया मैंने
उसके इंतज़ार का बस
इसी इशारे पर..कि
वो रूबरू आयेगा ज़रूर
प्रीत के दर ओ दीवारों पर।

कटा है मेरा सफ़र बस
इसी सहारे पर..कि
वो खड़ा है वहाँ
दूसरे किनारे पर।❤️❤️

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