ज़िक्र तो
ख़्वाहिश ए रूबरू
हुईं थी
तुम तो.......
शामिल हो गये मुझमें।

बात तो
हिजर् को फ़ना
करने की हुई थी
तुम तो.......
अक्स ए तह
मिल गये मुझमें।

बात तो
दीदार ए इश्क़
की हुई थी
तुम तो.......
जज़्ब ए दिल
हो गये प्रीत में।

बात तो
मिलने की हुई थी
तुम तो.......
घुल गये मुझमें।❤️❤️

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