जिसके लिए जीयें
उसी पे जब
मरने लगें उसे
उसूल ए ज़िंदगी में
साँसों सा क़रीब कहते हैं।

जिसके हर लफ़्ज़ पे
तवज्जो दें महफ़ूज़
करने लगें
वो बेशक ना हो
लिखा लकीरों में
दिल की हथेली का
वही नसीब होते हैं।

जिसके अक्स को ओढ़ें
तो बदन से उसी की
पहचान लगें
जिसकी रूह में
बस कर , मरके भी
क़यामत तक जिंदा रहें
उसे प्रेम ग्रंथ में
प्रीत ए हबीब कहते हैं।

जिस शख़्स की ग़लती
ग़लती ना लगे
किताब ए इश्क़ में
उसे महबूब कहते हैं।❤️❤️





















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