प्रेम ....जिसमें....
शिकायतों पर इख़्तियार
दोनों को है....मगर...
रूसवा हो कर भूलने का
हक़ किसी को नहीं।

प्रेम .....जिसमें
प्यार से भरे
इल्ज़ाम की अदा
दोनों को है....पर...
बेवफ़ा होने का हक़
किसी को नहीं ।

प्रेम .....जिसमें....
इक दूजे में खो
जाने का जूनूं
दोनों को है....मगर....
इक दूसरे को खो
देने का हक़
किसी को भी नहीं।

प्रेम .....जिसमें....
जिस्मों की सतह पे
प्रीत लिखने की इजाज़त
दोनों को है....मगर.....
बदनाम अल्फ़ाज़ों
का हक़ नहीं
किसी को भी नहीं ।

प्रेम .....जिसमें....
गुस्सा होने का हक़
दोनों को है....पर....
जुदा होने का हक़
किसी को नहीं।❤️❤️

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