भरी महफ़िल में
हमें खुद में खोया
देख कर
हर नज़र सवाल उठे
तेरे अक्स को छुपाते
हमने कह दिया
ये तन्हाई के राग हैं।

हर आहट दहलीज़ पे
भागते देख कर
हर किसी के सवाल उठे
तेरे आने की चाहत में
तेरी प्रीत ने कह दिया
ये इंतज़ार के भाग हैं।

यादों के आग़ोश में
हरसू मुझे  लिपटा
देख कर
सवाल...हर तरफ़ से उठे
चौंक कर तसव्वुर से
हमने ये कह दिया
बस कुछ बेचैनियों के
जहनी नाग हैं।

तकिये पे अश्क़
देख कर
सवाल सौ उठे
हंस कर हमने कह दिया
अरे..ये सपनों के
दाग हैं।❤️❤️

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