होगी तो ज़रूर
कुछ अल्फाजों
की भी एहमियत
वरना रद्दी तो
बहुत सस्ती
बिक जाती है।

बेशक होगी
कुछ तो एहसासों
की भी फ़ितरत
वरना मोहब्बत तो
हर नुक्कड़ पर
नज़रें मिलाती है।

है ज़रूर है कुछ तो
प्रीत ए रूखसार
की जीनत
वरना आइने में तो
हर सूरत सँवर
जाती है।

होगी तो ज़रूर
उसी इक इंतज़ार
की सहमत
वरना घर की
दहलीज़ तो
बहुत से मेहमानों से
भर जाती है।

होगी तो ज़रूर
कुछ फूँक की
भी क़ीमत
वरना बाँसुरी तो
बहुत सस्ती मिल
जाती है।❤️❤️

Comments

Popular posts from this blog