निहारने को अक्स अपना
जब आईना देखना पड़े
तब समझ लो मेरे जाना
कि......पहचान लापता ज़रूर है।

अपने ही वजूद को जब
रूह ए तह तलाशना पड़े
तब समझना मेरे जाना
कि......छाया मोहब्बत का फ़ितूर है।

मर चुके से जिस्म में यूँ
दिल को कुछ धड़कना पड़े
तब समझना मेरे जाना
कि......वही इश्क़ का ग़रूर है।

सुनो ना...ये तुम ना करना कि
मुझे अश्कों समन्दर ढूबना पड़े
तड़प के बिखरूँ टूट कर मैं
तब समझना मेरे जाना
कि......यही तेरी प्रीत का सरूर है।

डर लगता है जो
मैंने सुना है
जिन्हें बुलाना पड़े
समझ लो कि......वो बहुत दूर है।❤️❤️

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