कुछ ख़्वाबों के पुलिंदे
सबसे चुरा कर
बाँध रही हूँ
हो सके....तो मिलकर
साथ देंखें
गर इजाज़त दो।

मुसकुराहटों की
तहों के तले
अश्कों की नमीं
छुपा रही हूँ
हो सके....तो सैलाब को
बंजर कर दो।

कुछ सासों में
अटकी इंतज़ार
भेज रही हूँ
हो सके....तो दहलीज़
पर दस्तक कर दो।

कुछ राज ए प्रीत
दिल की क़ब्र में
महफ़ूज़ कर रही हूँ
हो सके....तो धड़कनों को
फिर से ज़िंदा कर दो।

कुछ ख़ामोशियाँ
तुम्हें दे रही हूँ
हो सके....तो शब्दों से
इन्हें भर दो।❤️❤️

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