लफ़्ज़ों का हर लम्हा
मेरे ज़हन में
लगा रहता है
इक पहरा सा
जिसे सब ख़ामोशी कहें
बस सुन तुम सको।

हर हर्फ़ उभरता है
पन्नों पे मेरे
इक चेहरा सा
जिसे आइने की मानिद
निहारें सब
उस अक्स मे बस तुम सको।

मेरी नज़्मों के एहसास
जब महसूस करें
कुछ ठहरा सा
जिसे लोग वाह वाह
से नवाजें
उसमें छुपी आहह!! मेरी
बस समझ तुम सको।

लिखना है मुझे
कुछ गहरा सा
जिसे कोई भी पढ़े
समझ बस तुम सको।❤️❤️



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