लफ़्ज़ों को तरतीब से
जुड़ते देखा है कभी.....
कोई ख़्वाब सलीक़े से
वहाँ भी पलता है।
अल्फाजों को लिखती
स्याही का रंग
देखा है कभी...........
सुर्ख़ एहसासों का लहू
बिखरा वहाँ भी मिलता है।
नज़्मों में पिरोये दर्द को
तड़पता देखा है कभी ....
कोई ज़ख़्म हर पहलू
वहाँ भी रिसता है।
पन्नों पे लिखी
तहरीरों को
सदियों सहेजे
देखा है कभी.............
कोई प्रीत का इंतज़ार
वहाँ भी सिसकता है।
शायरी से भरे
पन्नों को देखा है कभी....
कोई दिल वहाँ भी
धड़कता है।❤️❤️
जुड़ते देखा है कभी.....
कोई ख़्वाब सलीक़े से
वहाँ भी पलता है।
अल्फाजों को लिखती
स्याही का रंग
देखा है कभी...........
सुर्ख़ एहसासों का लहू
बिखरा वहाँ भी मिलता है।
नज़्मों में पिरोये दर्द को
तड़पता देखा है कभी ....
कोई ज़ख़्म हर पहलू
वहाँ भी रिसता है।
पन्नों पे लिखी
तहरीरों को
सदियों सहेजे
देखा है कभी.............
कोई प्रीत का इंतज़ार
वहाँ भी सिसकता है।
शायरी से भरे
पन्नों को देखा है कभी....
कोई दिल वहाँ भी
धड़कता है।❤️❤️
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