मुनासिब कहाँ है
कि तुझे रूबरू देखूँ
तसव्वुर में तुझसे मुलाक़ात
किसी जॉनिसार से कम नहीं।

ज़रूरी तो है
कि मैं रस्मों के दायरे देखूँ
तेरे जानिब प्रीत का
यूँ खिच जाना
किसी प्यार से कम नहीं।

मुश्किल तो है
बिन धड़कनों दिल का धड़कना
बिन साँसों जी जाना
इक ज़रा उसे सोच कर
उसकी रूह में घुल जाना
किसी इकरार से कम नहीं।

लाज़मी तो नहीं
कि तुझे आँखों से ही देखूँ
तेरी याद का आना भी
तेरे दीदार से कम नहीं।❤️❤️

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