छुपी आँखों की
चिलमन में ही कहीं
नींद की तू तलब ना कर
शामिल तेरे हर
ख़्वाब तलक
बस जरा शब ए आस का
..........सफ़र तो कर।

मौजूद तेरे हर
तसव्वुर ए एहसास में
खाव्हिशे रूबरू ना कर
जज़्ब यूँ तेरे
अक्स ओ रूह में
इक जरा मेरे जिस्म का
..........सफ़र तो कर।

दफ़्न मैं हर राज ए दिल
तू कुरेद क़ब्र पोशिदा ना कर
मैं हू तेरी
हक़ीक़त ए जाँ  तक
आ जरा हर राज का
 ..........सफ़र तो कर।

समाई तुझमें तुम होकर
बाहर कहीं मुझे तालाश ना कर
इख़्तियार सिर्फ़ तेरा
मेरे इश्क़ ओ प्रीत तक
आ मेरे जूनूं का
..........सफ़र तो कर।

वजूद की तलब
ना कर
हक़ है तेरा मेरी
रूह तक
 ..........सफ़र तो कर।❤️❤️

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