फिर दिल ने तेरी
जुस्तजू की
हर धड़कन तुझी से
प्यार किया
बस यूँ ही
हर इल्ज़ाम को
हमने अपने सिरनाम
हर बार किया।

फिर अपनी नग्न
मोहब्बत को
तेरे इश्क़ ए लिबास
तैयार किया
मेरे अक्स में भी
तू नज़र आए
हमने बस यही जुर्म
हर बार किया।

तू नहीं है मंज़िल
फिर रास्ता इक तुझ तक
लंबा स्वीकार किया
चाहत प्रीत ए रूह की
बस...तू ही
हमने हर लम्हा
फिर तुझसे ही
इकरार किया।

फिर तेरी आरज़ू की
फिर तेरा इंतज़ार किया
बस...यही इक
गुनाह हमने
बार-बार किया।❤️❤️


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