यूँ तो हर एहसास
अपने ज़हन की
गिरफ़्त में किया मैंने
फिर भी जितना
तुझे महसूस किया
उतना नहीं क़ैद किया मैंने ।

यूँ तो अपने अक्स में
लपेट लिया तेरे
वजूद को मैंने
मगर उतना नहीं समेटा
जितना जज़्ब किया
तुझे अपनी रूह में मैंने।

यूँ तो अपनी धड़कनों को
इक साज दिया मैंने
फिर भी उतना नहीं
गुनगुनाई धड़कनें
जितना हर धड़क
तुम्हें ख़ुद में जी लिया मैंने।

यूँ तो लिखने
के लिए
क्या नहीं लिखा मैंने
फिर भी जितना
तुझे चाहा
वो नहीं लिखा मैंने।❤️❤️

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