मैं गुम होकर
ख़यालों में लिखूँ
या समझ कर हर बार
बस ज़रा सा बता तू
मन में सोच रखूँ
या पन्नों पे लिखूँ
इज़हार ए प्यार ।

मैं ख़्वाबों के
आसमां पे लिखूँ
या तसव्वुर की
ज़मीं का म्यार
सुन ! तू कहे तो
तेरे बदन पे लिखूँ
अपनी उँगलियों से
उकेरा प्यार ।

मैं सहर के
सूरज पे लिखूँ
या शब ए चाँद पे
दिलकश शरेआर
ऐ सनम !जरा तू
अपनी प्रीत को बता
बिना लफ़्ज़ों के
लिखूँ क्या तेरे लिए
ख़ामोश प्यार ।

मैं विरह की
वेदना लिखूँ
या मिलन की
कोई झंकार
तू ही बता
कैसे लिखूँ
थोड़े शब्दों में
बहुत सारा प्यार ।❤️❤️

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