आँखें भी बंजर थीं
खाव्हिशें भी सहरा सी
बस,  फिर तुम मिले और
हर ख़्वाब मस्ताना हो गया।

धड़कनें भी बेसुर थीं
जान भी बेज़ार थी
बस ,तुम समाये मुझमें और
मेरा दिल गुनगुनाता हो गया।

नज़्में बेअसर थीं
ग़ज़लें भी आवारा सी
बस , हर लफ़्ज़ तुमसे जुड़ा और
मेरे अल्फ़ाज़ शायराना हो गया।

चाहते बेक़सूर थीं
मोहब्बतें बेबस थीं
बस , तुमपे जो हुए फ़िदा और
प्रीत का हर एहसास रूमाया हो गया।

मंज़र भी बेनूर थे
फ़िज़ाएँ भी बेरंग थीं
बस , तुम याद आए और
मौसम सुहाना हो गया।❤️❤️

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