मिज़ाज अपनी
तासीर का
ज़रा तो बदल के देख
तू इश्क़ का साहिल
ना तालाश
इश्क़ में ज़रा ढूब
कर तो देख।
लुत्फ़ आज़माने का
ज़रा छोड़ कर
तो देख
तू एतबार करा कर नहीं
एतबार करके तो देख।
एहसासों के लंबे रास्तों
और खोई मंज़िल को
ना देख
तू प्रीत की शिद्दत नहीं
शिद्दत ए प्रीत देख।
शब्दों के इतेफाक में
यूँ बदलाव करके
तो देख
तू देख कर ना मुस्कुरा
ज़रा मुस्कुरा के तो देख।❤️❤️
तासीर का
ज़रा तो बदल के देख
तू इश्क़ का साहिल
ना तालाश
इश्क़ में ज़रा ढूब
कर तो देख।
लुत्फ़ आज़माने का
ज़रा छोड़ कर
तो देख
तू एतबार करा कर नहीं
एतबार करके तो देख।
एहसासों के लंबे रास्तों
और खोई मंज़िल को
ना देख
तू प्रीत की शिद्दत नहीं
शिद्दत ए प्रीत देख।
शब्दों के इतेफाक में
यूँ बदलाव करके
तो देख
तू देख कर ना मुस्कुरा
ज़रा मुस्कुरा के तो देख।❤️❤️
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