दर्द को भी सुनते हैं
किस क़दर लापरवाही से
हर किसी से दुख बाँटना
अच्छा नहीं होता।
ज़ख़्म कुरेद कर जाँचते हैं
असल लहू की
हर किसी से दवा माँगना
अच्छा नहीं होता।
ख़ामोशी का ज़िक्र कैसे करें
महफ़िल के शोर वालों से
तन्हाई की फ़िक्र हर किसी से करना
अच्छा नहीं होता।
दरारें है जिस्म ओ रूह में
कहां तलक ऐ प्रीत
अपने टूटे होने का अंदाज़ा देना
अच्छा नहीं होता।
मंज़िलों से गुमराह भी
कर देते हैं कुछ लोग
हर किसी से रास्ता पूछना
अच्छा नहीं होता।❤️❤️
किस क़दर लापरवाही से
हर किसी से दुख बाँटना
अच्छा नहीं होता।
ज़ख़्म कुरेद कर जाँचते हैं
असल लहू की
हर किसी से दवा माँगना
अच्छा नहीं होता।
ख़ामोशी का ज़िक्र कैसे करें
महफ़िल के शोर वालों से
तन्हाई की फ़िक्र हर किसी से करना
अच्छा नहीं होता।
दरारें है जिस्म ओ रूह में
कहां तलक ऐ प्रीत
अपने टूटे होने का अंदाज़ा देना
अच्छा नहीं होता।
मंज़िलों से गुमराह भी
कर देते हैं कुछ लोग
हर किसी से रास्ता पूछना
अच्छा नहीं होता।❤️❤️
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