रख इक आस अपने पास
जिंदा रख जिंदगी का एहसास
इक रोज़.... अंधेरों से निकल
वो सुबह..... तो आएगी।

उम्मीद रख समेट अपने सिरहाने
ख्वाब भी संजो ले जो हैं बेहद खास
रख इंतजार....वो लाज़मी आएगी
वो सुबह....तो आएगी।

माना कि दर्द कुछ है बदहवास
अश्कों को भी है इक मीठी प्यास
लबों की फीकी मुस्कान यक़ीनन
रंगीन हो जाएगी ...ऐ प्रीत
वो सुबह... ज़रूर आएगी
अंधेरों को चीर रोशनी के सरोश
चांद को छोड़ रवि की आगोश
वो सुबह....... कभी तो आएगी।❤️❤️

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